Friday, October 21, 2011

एहसान....

तुम दूर हो के पास आ रहे हो या पास आ के दूर जा रहे हो .

नहीं समझ पाता हूँ मै , इस क़दर क्यों मुझ पे छा रहे हो .

इन चांदनी रातो में बरबक्स सामने आते हो ,

और पल बार में अक्स बनके यू धुआं हो जाते हो

उन धुंधली सी रातो में एक झोके जैसे आते हो

और अपनी यादो में मुझे अकेला छोड़ जाते हो

कभी आसमान में , कभी खयालो में,

तेरी तस्वीर बनाया करता हूँ

तेरी यादो को ले के मै,

अपने सपने सजाया करता हूँ

सुन सको और समझ सको तो,कर दो मुझ पे एक एहसान

दे दो इस अजनबी से,रिश्ते को एक मकाम

सजा दो मेरी दुनिया

चले आओ सनम

बस,

चले आओ सनम....

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