ये दिल भी कितना नादान है,
पाना उसको नहीं आसान है
दिल इतना क्यों हैरान है
वो जो आई है, दो पल क़ी मेहमान है
एक अजीब सी कशमकश में, उलझा है दिल
उसको कुछ कहू, या होठ लू अपने सिल
उसको सामने देख के दिल क़ी
धड़कने क्यों बढ जाती है
वो जब हँस के इठलाती है
क्यों जल तरंग सी छा जाती है
एक चाँद वहाँ, एक चाँद यहाँ
ये मंज़र देखा करता हूँ
कही तुम कोई सपना तो नहीं
ये सोच के छूने से डरता हूँ
कह नहीं सकता,कुछ तो समझ लो
मेरे दामन को प्यार से भर दो
मेरी साँसों में बस जाओ तुम
मेरे सपनो को दीप्तिमय कर दो.
Friday, October 21, 2011
एहसान....
तुम दूर हो के पास आ रहे हो या पास आ के दूर जा रहे हो .
नहीं समझ पाता हूँ मै , इस क़दर क्यों मुझ पे छा रहे हो .
इन चांदनी रातो में बरबक्स सामने आते हो ,
और पल बार में अक्स बनके यू धुआं हो जाते हो
उन धुंधली सी रातो में एक झोके जैसे आते हो
और अपनी यादो में मुझे अकेला छोड़ जाते हो
कभी आसमान में , कभी खयालो में,
तेरी तस्वीर बनाया करता हूँ
तेरी यादो को ले के मै,
अपने सपने सजाया करता हूँ
सुन सको और समझ सको तो,कर दो मुझ पे एक एहसान
दे दो इस अजनबी से,रिश्ते को एक मकाम
सजा दो मेरी दुनिया
चले आओ सनम
बस,
चले आओ सनम....
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